प्रवाह का शाब्दिक अर्थ होता है- बहाव या जल की वह धारा जो किसी दिशा में वेगपूर्वक बढ़ रही हो। यह पुस्तक भी प्रवाह है लेखकों के विचारों के प्रवाह का एवं उनके अनुभवों का | इस पुस्तक की रचनाएँ लेखकों के मस्तिष्क में प्रवाहित विचारों एवं उनके वेग पर आधारित हैं, जिस प्रकार प्रवाह के माध्यम से जल आगे बढ़ता जाता है उसी प्रकार लेखक भी अपने विचारों एवं कल्पनाओ के माध्यम से ज्ञान की ओर अग्रसर है | इसी प्रकार, यह पुस्तक प्रवाह नाम से पूर्ण न्याय करती है | इस पुस्तक में किसी रचना में लेखकों की प्रेरणा एवं उनके बचपन के दिनों की यादों का प्रतिबिम्ब तो कहीं उनकी सामाजिक अनुभूति, देशप्रेम एवं उनके अपनी जन्मभूमि के लिए प्रेम का प्रवाह है| हमें आशा है की हमारे पाठक इस पुस्तक के प्रवाह में बहकर प्रत्येक लेखक के भाव को अहसास करेंगे एवं आनंदित होंगे |